Sunday, November 16, 2025
spot_img
HomeLatest NewsCJI ने वक्फ कानून विवाद पर खींची संवैधानिक लक्ष्मण रेखा, कहा- ठोस...

CJI ने वक्फ कानून विवाद पर खींची संवैधानिक लक्ष्मण रेखा, कहा- ठोस सबूत लाओ तभी दखल होगा

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली और 8 अप्रैल 2025 से लागू हुआ। इस अधिनियम का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। इसमें वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति, वक्फ की परिभाषा में बदलाव, और वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण जैसे प्रावधान शामिल हैं।


⚖️ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

इस अधिनियम की संवैधानिक वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 70 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस, DMK, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे संगठन शामिल हैं। याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाता है।


🧑‍⚖️ CJI की टिप्पणी: “संविधान के उल्लंघन का ठोस सबूत जरूरी”

20 मई 2025 को सुनवाई के दौरान, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी. आर. गवई ने स्पष्ट किया कि न्यायपालिका तभी हस्तक्षेप करेगी जब किसी कानून के संविधान के उल्लंघन का “बहुत मजबूत मामला” प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने कहा कि संसद द्वारा पारित सभी कानूनों को संवैधानिक माना जाता है, जब तक कि इसके विपरीत साबित न हो।


🏛️ केंद्र सरकार का पक्ष

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में कहा है कि यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है। सरकार ने यह भी कहा कि यह अधिनियम धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है, क्योंकि यह केवल संपत्ति के प्रबंधन से संबंधित है, न कि धार्मिक प्रथाओं से।


🧑‍⚖️ याचिकाकर्ताओं की आपत्तियाँ

याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम के कई प्रावधानों को चुनौती दी है, जैसे:

  • धारा 3(r): वक्फ बनाने के लिए व्यक्ति को कम से कम पांच वर्षों तक इस्लाम का पालन करना आवश्यक है, जो धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
  • धारा 3C: जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्ति को सरकारी संपत्ति घोषित करने का अधिकार देता है, जो न्यायिक प्रक्रिया के बिना संपत्ति अधिकारों का हनन है।
  • धारा 3D और 3E: पुरातत्व संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित स्मारकों पर वक्फ की घोषणा और अनुसूचित जनजातियों द्वारा वक्फ बनाने पर प्रतिबंध लगाता है, जो भेदभावपूर्ण है।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular