उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित शाही जामा मस्जिद एक बार फिर चर्चा में है। हाल ही में, इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की तीन सदस्यीय टीम ने मस्जिद का निरीक्षण किया। यह निरीक्षण मस्जिद की रंगाई-पुताई और मरम्मत की अनुमति से संबंधित याचिका के संदर्भ में किया गया।
पृष्ठभूमि
शाही जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने आगामी रमजान के मद्देनजर मस्जिद की रंगाई-पुताई और मरम्मत की अनुमति के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने एएसआई को निर्देश दिया कि वह मस्जिद का निरीक्षण कर शुक्रवार सुबह 10 बजे तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
एएसआई का निरीक्षण
गुरुवार को, एएसआई के ज्वाइंट डायरेक्टर मदन सिंह चौहान, मोन्युमेंट निदेशक जुल्फिकार अली, और मेरठ सर्किल के सुपरीटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट विनोद सिंह रावत ने मस्जिद का निरीक्षण किया। इस दौरान मस्जिद कमेटी के मुतवल्ली सदर जफर अली एडवोकेट, सचिव मकसूद अली फारूकी, एएसपी श्रीशचंद्र, एसडीएम वंदना मिश्रा, और सीओ अनुज चौधरी भी उपस्थित थे। टीम ने मस्जिद के अंदर और बाहर, दुकानों, कमरों, मुख्य द्वार, और मस्जिद के बाहर स्थित कुएं का गहन निरीक्षण किया।
सुरक्षा व्यवस्था
निरीक्षण के दौरान, एएसपी श्रीश चंद्र के नेतृत्व में मस्जिद के चारों ओर भारी पुलिस बल तैनात रहा। यह कदम पिछले वर्ष 24 नवंबर को मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया था, जिसमें चार लोगों की मौत हुई थी और 29 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। इसलिए, इस बार प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे।
कुएं का निरीक्षण
निरीक्षण के दौरान, मस्जिद के बाहर स्थित कुएं को भी खुलवाया गया। यह कुआं 2012 तक हिंदू समाज की आस्था से जुड़ा था और पूजा-अर्चना के लिए इस्तेमाल होता था। बाद में, मस्जिद कमेटी ने इस पर रोक लगा दी थी। संभल महात्म्य में इस कुएं को धरणी वाराह कूप के नाम से जाना जाता है।


